दिवाली से ठीक पहले प्याज के बढ़ते दाम ने लोगों की रसोई का बजट बढ़ा दिया है. पर बात यही नहीं रुकने वाली है, प्याज की बढ़ती कीमतें देश में सरकार तक हिलाने का दम रखती हैं. फिलहाल ये देश में महंगाई दर को 6 प्रतिशत के स्तर तक ले जा सकती है. इससे आने वाले महीनों में जहां देश की इकोनॉमी पर असर होगा, वहीं लोगों के लोन की ब्याज दरें भी बढ़ सकती हैं.
अगर सिर्फ नवंबर महीने के 8 दिनों को देखें तो अक्टूबर के मुकाबले प्याज की कीमतों में अब तक 75% की तेजी आ चुकी है. इसके चलते आने वाले महीनों में महंगाई दर 6% के स्तर तक पहुंच सकती है, जिसकी वजह से संभव है कि भारतीय रिजर्व बैंक को रेपो रेट में भी बदलाव करे.
क्या अक्टूबर के आंकड़े भी दिखाएंगे महंगाई?
नोमुरा के एक्सपर्ट के हवाले से ईटी की खबर में कहा गया है कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 5.3 प्रतिशत रह सकती है. सितंबर में ये महज 5% थी. इसके चलते नवंबर और दिसंबर में देश की मुख्य महंगाई दर 6% के स्तर को छू सकती है. अक्टूबर में टमाटर की कीमतें नीचे आने से महंगाई दर नीचे आने की उम्मीद थी, लेकिन अक्टूबर के आखिर तक आते-आते सब्जियों की कीमतों में तेजी देखी गई. प्याज की कीमतें तो लगातार बढ़ रही हैं.
महंगाई पर प्याज ऐसे डालती है असर
देश में जब रिटेल महंगाई दर को नापा जाता है, तो उसके लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स बनाया जाता है. इस इंडेक्स का एक हिस्सा फूड प्राइस इंडेक्स भी होता है, जिसमें टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों का वेटेज होता है. रिटेल महंगाई दर को तय करने वाले बास्केट में प्याज की वेटेज 0.64 प्रतिशत है. जबकि टमाटर की वेटेज 0.57 प्रतिशत. इसलिए प्याज की कीमतें महंगाई दर पर असर डालती हैं.
सरकार के पास प्याज का 5 लाख टन बफर स्टॉक है. इसमें से अक्टूबर के अंत तक सरकार 1.70 लाख टन प्याज मार्केट में रिलीज कर चुकी है. आने वाले दिनों में महंगाई को नीचे लाने के लिए सरकार और प्याज मार्केट में जारी कर सकती है.